राजेश अस्थाना ब्लॉग : शांति तो अर्थहीनता में है...........

राजेश अस्थाना ब्लॉग : शांति तो अर्थहीनता में है...........: लंबे समय से हलचल का आलम था। चित्त अशांत, अस्थिर और अस्त-व्यस्त। इतना गतिशील, जैसे पत्थर पर्वत से लुढ़क रहा हो, इसकी गति स्वत:स्फूर्त होती ...